राजनेताओं समेत जनप्रतिनिधियों के तथाकथित जनसेवी,समाजसेवी होने के सरकारी फायदे


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भारत में राजनेताओं समेत जनप्रतिनिधियों के तथाकथित जनसेवी,समाजसेवी होने के सरकारी फायदे  –

बोलो 66 साल से तनख़्वाह, पेंशन लेकर सारा सार्वजनिक धन भकोसकर जनकर्मचारी, जनसेवक होकर राजनैतिक विशिष्टता का झूठा तमगा लगा कर खुद को आम भारतीय से,कानूनों से उपर मानने की यह व्यवस्था क्या जनसहयोग व जनता से पूछ कर बनाई है…?
कर्मचारीयों के रूप में सार्वजनिक धन से वेतन,पेंशन, सुविधाएँ, भत्ते लेकर यह आरटीआई कानून के अंतर्गत भी नहीं आना चाहते जबकि इन्ही (सार्वजनिक धन से प्राप्त ) वेतन,भत्तों से अपने दल को मासिक/ छहमासिक/ या एक मुश्त सालाना ‘चंदा’ भी देतें हैं हिस्से के रूप में…..!
है ना मजेदार,पर कानूनी झोलमझाल….??
आप सब मित्रगण जरा इन वास्तविक तथ्यात्मक सूचनाओं पर गौर फरमाईये –
संसद सदस्यों के लिए सुख-सुविधाएं –
संसद के लिए निर्वाचित होने के पश्चात् संसद सदस्य कतिपय सुख-सुविधाओं के हकदार हो जाते हैं। ये सुख सुविधाएं संसद सदस्यों को इस दृष्टि से प्रदान की जाती हैं कि वे संसद सदस्य के रूप में अपने कार्यों को प्रभावी ढंग से निपटा सकें।मोटे तौर पर संसद सदस्यों को प्रदान की गई सुख-सुविधाएं वेतन तथा भत्ते, यात्रा सुविधा, चकित्सा सुविधाएं, आवास, टेलीफोन आदि से संबंधित होती हैं। ये समस्त सुख-सुविधाएं संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों द्वारा शासित होती हैं।

वेतन तथा दैनिक भत्ता
संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 2006 के प्रवृत्त होते ही वेतन की राशि 14 सितम्बर, 2006 से पांच वर्षों की अवधि के लिए बारह हजार रुपये से बढ़ाकर सोलह हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई हैं। इसी प्रकार कर्तव्‍य पर रहते हुए जहां संसद के किसी सदन का कोई सत्र अथवा संसद की किसी समिति की कोई बैठक आयोजित होती है, निवास के प्रत्येक दिन के लिए दैनिक भत्ते की राशि पांच सौ रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये कर दी गई है। पांच वर्ष की अवधि समाप्त हो जाने के पश्चात् सरकार द्वारा उपरोक्त अधिनियम में संशोधन करके यह राशि पुनः निर्धारित की जा सकती है।परंतु यह कि कोई भी सदस्य पूर्वोक्त भत्ते का तब तक हकदार नहीं होगा जब तक कि वह सदन के उस सत्र के उन दिनों (बीच में आने वाली उन छुट्टियों को छोड़कर जिनके लिए इस तरह के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है) जिनके लिए उस भत्ते का दावा किया जाता है, लोक सभा सचिवालय या राज्य सभा सचिवालय द्वारा, जैसी भी स्थिति हो इस प्रयोजन के लिए रखे गए रजिस्टर पर हस्ताक्षर नहीं करता है।संसद सदस्य सदन के सत्र के ठीक पहले अथवा बाद में तीन दिन से अनधिक और किसी समिति की बैठक के ठीक पहले अथवा बाद में दो दिन से अनधिक या संसद सदस्य के रूप में अपने कर्त्तव्य से संबंधित किसी अन्य कार्य के लिए ऐसे निवास की अवधि के लिए भी दैनिक भत्ते का हकदार होगा।
( है ना हरामखोरी, मुफ्तखोरी की बेहद इंतहा ,देशसेवा,समाजसेवा,जनसेवा के नाम पर खुली धोखाधड़ी नही है?)

निर्वाचन क्षेत्र संबंधी भत्ता
संसद सदस्य बीस हजार रुपये प्रति माह की दर से निर्वाचन क्षेत्र संबंधी भत्ता प्राप्त करने का हकदार है।कार्यालय व्यय भत्ताप्रत्येक संसद सदस्य 20,000 रुपये प्रति माह की दर से कार्यालय-व्यय भत्ता पाने का हकदार है जिसमें से 4,000 रुपये लेखन सामग्री मदों पर होने वाले व्यय की पूर्ति के लिए; 2,000 रुपये पत्रों की फ्रैंकिंग पर होने वाले व्यय की पूर्ति के लिए हैं तथा लोक सभा/राज्य सभा सचिवालय 14000 रुपये का संदाय ऐसे व्यक्ति(यों) को प्रत्यक्ष रूप से कर सकेंगे, जिसे संसद सदस्य द्वारा सचिवालयी सहायता प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया गया हो। बशर्ते, ऐसा व्यक्ति स्वयं संसद द्वारा प्रमाणित कम्प्यूटर साक्षर होना चाहिए।
(मुफ्तखोरी की इंतहा नहीं है यह…?)

पेंशनों और तनख़्वाह, भत्तों,मुफ्त सुविधाओं में तो पक्ष, विपक्ष का भेद रखा ही नहीं….!

भारतीय संसद ने संसद (लोकसभा+राज्यसभा) सदस्‍य (वेतन, भत्ते और पेंशन) अधिनियम के अधीन सदस्‍यों को पेंशन दिए जाने की स्‍वीकृति दी है। चार वर्ष के सेवाकाल वाले प्रत्‍येक सदस्‍य तो एक हजार चार सौ रूपये प्रति मास की पेंशन दी जाती है। इसके अतिरिक्‍त पाँच वर्ष के बाद की सेवा के प्रत्‍येक वर्ष के लिए 250 रूपये और दिए जाते हैं।प्रत्‍येक सदस्‍य 1500 रूपये प्रतिमास का वेतन तथा ऐसे स्‍थान पर, जहां संसद के किसी सदन का अधिवेशन या समिति की बैठक हो, ड्यूटी पर निवास के दौरान 200 रूपये प्रतिदिन का भत्ता प्राप्‍त करने का हकदार है। मासिक वेतन तथा दैनिक भत्ते के अलावा प्रत्‍येक सदस्‍य 3000 रूपये मासिक का निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 1000 रूपये प्रतिमास की दर से कार्यालय व्‍यय प्राप्‍त करने का हकदार है।

यात्रा संबंधी सुविधाएं : प्रत्‍येक सदस्‍य निम्‍नलिखित यात्रा –भत्ते पाने का हकदार है:
(क) रेल द्वारा यात्रा के लिए: एक प्रथम श्रेणी के तथा एक द्वितीय श्रेणी के किराए के बराबर रकम
(ख) विमान द्वारा यात्रा के लिए: प्रत्‍येक ऐसी यात्रा के लिए विमान किराए के सवा गुना के बराबर रकम
(ग) सड़क द्वारा यात्रा के लिए: पाँच रूपये प्रति किलोमीटर तथा स्‍टीमर द्वारा यात्रा के लिए उच्‍चतम श्रेणी के किराए के अतिरिक्‍त उसका 3/5 भाग।इसके अलावा, प्रत्‍येक सदस्‍य को प्रतिवर्ष देश के अंदर कहीं भीअपनी पत्‍नी/अपने पति या सहचर के साथ 28 एक तरफा विमान यात्राएं करने की छूट होती है। प्रत्‍येक सदस्‍य को देश के अंदर कहीं भी, कितनी भी बार, वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा के लिए स्‍वयं तथा सहचर के लिए एक रेलवे पास भी मिलता है। पत्‍नी/पति के लिए एक अलग से पास भी मिल सकता है।

टेलीफोन : प्रत्‍येक सदस्‍य निशुल्‍क टेलीफोन-एक दिल्‍ली में तथा दूसरा अपने निवास स्‍थान पर लगवानें का हकदार है। इसके अलावा, उसे प्रतिवर्ष निशुल्‍क 50,000 स्‍थानीय काल करने की छूट होती है।
वास सुविधा तथा वाहन : प्रत्‍येक सदस्‍य को दिल्‍ली में मकान दिया जाता है। फ्लैटों के लिए कोई शुल्‍क नहीं है। जबकि बंगलों के लिए नाममात्र लाईसेंस शुल्‍क लगाया जाता है। कतिपय सीमाओं में बिजली तथा पानी निशुल्‍क होते हैं।

प्रत्‍येक संसद सदस्‍य को उसके कार्यकाल के दौरान वाहन खरीदने के लिए अग्रिम-राशि दी जाती है।
(यानि विलासिताऐं और हरामखोरी, मुफ्तखोरी पूर्णता सार्वजनिक धन से…हद है,,,नहीं..?)

अन्‍य परिलब्‍धियां : संसद सदस्‍यों को जो अन्‍य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं उनमें आशुलिपिक तथा टंकण पूल, आयकर में राहत, कैंटीन, जलपान और खानपान, क्‍लब, कामन रूम, बैंक, डाकघर, रेलवे तथा हवाई बुकिंग तथा आरक्षण, बस परिवहन, एल पी जी सेवा, विदेशी मुद्रा का कोटा, लॉकर, सुपर बाजार आदि शामिल है। संसद परिसर में एकमात्र सदस्‍यों के लिए एक सुसज्‍जित प्राथमिक चिकित्‍सा अस्‍पताल भी है।

तो बतलाओ मित्रों रूपया क्यों कर ना गिरे इस 66 साला मुफ्तखोरी + हरामखोरी के चलते…?
GDP 4.8 या 4.4 ही क्यों ना हो इस 66 साला मुफ्तखोरी + हरामखोरी के चलते…?

क्यों सही है ना….?
आप ही कुछ बतला दें……. मेरे भारत महान् के अति महान् निवासियों….??

बोलो चमन के गधे मात्र हम


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